यह बयान महाराष्ट्र में हाल ही में जीका वायरस के मामले सामने आने के बाद आया है और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को एक सलाह जारी की है, जिसमें निरंतर निगरानी बनाए रखने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।
महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में जीका वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है कि यह स्थिति गर्भवती महिलाओं के लिए ठीक नहीं है. उनकी समय-समय पर जांच बेहद जरूरी है. अगर कोई महिला इस बीमारी से संक्रमित हो भी जाती हैं तो उनकी भ्रूण के विकास की निगरानी रखनी चाहिए.
जीका वायरस एडीज मच्छर के काटने से फैलता है. जो डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छरों के कारण होते हैं. यह वायरस पहली बार 1947 युगांडा में हुआ था. यह वहीं के पेड़ में पाया गया था.
जीका वायरस संक्रमित मच्छर एडीज एजिप्टी और एल्बोपिक्टस के काटने से फैलता है. यह वायरस यौन संपर्क, ब्लड इंफेक्शन या प्रसव के दौरान संक्रमित मां से बच्चे में प्लेसेंटा के जरिए बहुत तेजी से फैल सकता है. इसलिए गर्भवती महिला को पहली तिमाही में अल्ट्रासाउंड स्क्रीनिंग कराते वक्त सावधान रहना चाहिए.
किसी को बुखार, दाने, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द या कंजेक्टिवाइटिस जैसा लग रहा है, तो इग्नोर नहीं करना चाहिए. यह लक्षण संक्रमित मच्छर के काटने के एक सप्ताह बाद दिखाई देते हैं और बाद में लगभग एक सप्ताह तक बने रह सकते हैं
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